कब्ज होने का कारण ,रोग और इसे रोकने के उपाय |
कब्ज (Constipation) का मतलब है कि मल त्याग करने में दिक्कत होती है और व्यक्ति को नियमित रूप से पेट साफ करने में परेशानी होती है। कब्ज आमतौर पर पाचन तंत्र में कुछ अव्यवस्था के कारण होता है। यह अपच, नियमित व्यायाम की कमी, पानी की कमी, फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों की कमी, योगाभ्यासहीनता, रुचिकर खाने की अधिकता, रोज़ाना की ज़िंदगी की तनावपूर्ण जिंदगी आदि के कारण हो सकता है।
कब्ज (Constipation) कई अलग-अलग कारणों से हो सकता है। निम्नलिखित हैं कुछ प्रमुख कारण:
1.कब्ज की समस्या:
अधिक तला हुआ, तेल युक्त और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन करने से पाचन तंत्र को बुरा प्रभाव पड़ता है, जिससे खाद्य पदार्थों को शरीर से गुजरने में समस्या होती है और कब्ज का बनना संभव होता है। पाचन तंत्र की समस्या या अवसाद (Indigestion) एक आम समस्या है जो भोजन को सही तरीके से पचाने की क्षमता में कमी पैदा करती है। यह समस्या खाने पीने के कारण, खाने की गलत आदतें, खाने की समय या शारीर के किसी अन्य कारण से हो सकती है। पाचन तंत्र की समस्या का लक्षण निम्नलिखित होते हैं:
- खाने के तुरंत बाद भूख न लगना और भारीपन का अहसास होना।
2. जीभ के पीछे जलन और अम्ल उद्गार की समस्या।
3. पेट में गैस, पेट भरी हुई भावना और ऊपरी पेट में भारीपन का अहसास।
4. खाने के बाद या खाने के समय पेट में दर्द या असामान्य संवेदना।
5. अपाचन की समस्या होने से व्यक्ति का वजन भी तेजी से कम हो सकता है।
6. पाचन तंत्र के कमजोर होने से त्वचा में चमक नहीं रहती है और आंखों की रौशनी में भी कमी हो सकती है।
2. अपर्याप्त पानी का सेवन:
पर्याप्त पानी पीना न तो खाद्य पदार्थों को सही तरीके से पचाने में मदद करता है और न ही मल को सॉफ्ट रखने में मदद करता है। इससे कब्ज की समस्या हो सकती है।अपर्याप्त पानी पीने से वायु और मल का निकास ठीक से नहीं होता है, जिससे कब्ज की समस्या हो सकती है। पर्याप्त पानी की आवश्यकता दिल को रक्त को शरीर में पंप करने के लिए काफी ओक्सीजन मिल सके। अपर्याप्त पानी पीने से दिल की समस्याएं हो सकती हैं।
3. फाइबर की कमी:
फल, सब्जियाँ और पूरे अनाज के सेवन की कमी भी कब्ज के लिए एक कारण हो सकती है। फाइबर समृद्ध खाद्य पदार्थों का सेवन मल को सॉफ्ट रखता है और इससे पाचन तंत्र को भी आराम मिलता है। फाइबर की कमी भी कब्ज की एक मुख्य वजह होती है। फाइबर या अशुद्ध अनाज हमारे खाने में मौजूद एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट होता है जो अपच और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह अवश्यक है कि हम अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में फाइबर शामिल करें ताकि पाचन तंत्र ठीक से काम कर सके और कब्ज की समस्या से बचा जा सके।
फाइबर भरपूर मात्रा में मौजूद होता है:
- सेब, केला, नाशपाती, ऑरेंज, संतरा, अनार, पपीता आदि।
- गाजर, मूली, गोभी, टमाटर, बैंगन, प्याज, लहसुन, पालक, गोभी, तोरी आदि।
- ब्राउन चावल, बाजरा, जौ, गहुं, अरहर दाल, मूंग दाल, चने की दाल, राजमा, चोले आदि।
- किशमिश, मूनफली, बादाम, अखरोट, काजू, पिस्ता आदि।
4. कम शारीरिक गतिविधि: नियमित शारीरिक गतिविधि न होने से भी कब्ज हो सकता है। व्यायाम न करने से शरीर की ऊर्जा का स्तर नीचा रहता है जिससे पाचन तंत्र प्रभावित होता है।
कब्ज से होने वाली बीमारियाँ:
1.गैस और एसिडिटी:
एसिडिटी, या अम्लपित्त, पेट में अतिरिक्त गैस बनने और पेट की अधिकतर शारीरिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करने वाली एक सामान्य समस्या है। इसके कारण में भोजन के समय अव्यवस्थितता, ज्यादा मसालेदार खाने, तली हुई चीजें, तम्बाकू और अल्कोहल का सेवन, तनाव आदि शामिल हो सकते हैं। इसके लक्षण में पेट में जलन, तकलीफ, पेट फूलना, गैस, पेट दर्द आदि शामिल हो सकते हैं। इसे रोकने के लिए आपको तली हुई चीजें, तम्बाकू, अल्कोहल और मसालेदार खाने से बचना चाहिए।
2.बवासीर (पाईल्स):
बवासीर, जिसे हेमोर्रोइड्स (Hemorrhoids) भी कहते हैं, एक प्रकार की गुदा की बीमारी है जो मल द्वारा जुड़े रक्तमार्ग के गुदा भाग में होती है। यह मस्तिष्क और जांघों के रक्त परिसंचार की समस्या के कारण बनती है। इसमें गुदा के भीतर या बाहर सूजन और दर्द का अनुभव होता है।
बवासीर के प्रकार:
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- बाहरी बवासीर (External Hemorrhoids): जब गुदा के बाहर गांठें बन जाती हैं और उनमें सूजन और दर्द होता है, तो उसे बाहरी बवासीर कहते हैं।
- अंतर्निहीन बवासीर (Internal Hemorrhoids): यह बवासीर गुदा के भीतर होते हैं और अक्सर बाहर नहीं आते। इसमें भी सूजन और दर्द होता है लेकिन यह बाहरी बवासीर की तुलना में ज्यादा पीड़ादायक होता है।
3.गुर्दे की पथरी:
कब्ज के कारण शरीर में पानी की कमी होती है जिससे गुर्दे में पथरी बनने का खतरा बढ़ जाता है। गुर्दे की पथरी (किडनी स्टोन) और कब्ज दो अलग-अलग समस्याएं हैं जो एक-दूसरे से अलग होती हैं। हालांकि, कई बार गुर्दे की पथरी या किडनी स्टोन के रोगियों को कब्ज की समस्या भी होती है, क्योंकि ये दोनों बीमारियां एक दूसरे के विभिन्न कारणों से प्रभावित हो सकती हैं।
4.दमा (अस्थमा):
दमा (अस्थमा) और कब्ज दो अलग-अलग रोग हैं जो एक-दूसरे से अलग होते हैं। दमा एक श्वसन तंत्र संबंधी बीमारी है जिसमें श्वसन नलियों (ब्रोंकाइल्स) में सूजन और विकार होता है जिससे श्वास की प्रक्रिया प्रभावित होती है। दमा के मरीजों को विशेषकर सुबह और रात में श्वास लेने में तकलीफ होती है।कब्ज एक पेट संबंधी समस्या है जिसमें मल त्याग करने में दिक्कत होती है और व्यक्ति को नियमित रूप से पेट साफ करने में परेशानी होती है। इसके लक्षण में पेट में दर्द, पेट की सूजन, मलत्याग की समस्या आदि शामिल हो सकते हैं।
कब्ज का निवारण:
1.खाने में तला हुआ, तेल युक्त और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों की जगह पर सेहतमंद और प्राकृतिक खाद्य पदार्थों को शामिल करें। फल, सब्जियाँ, पूरे अनाज, दालें और योगराज खाने में शामिल करने से पाचन तंत्र सुचारू रूप से काम करता है।
2. भोजन करते समय विशेष ध्यान दें और भोजन को चबाकर खाएं। जल्दी में खाना न खाएं और खाने के तुरंत बाद लेटने से बचें।
3. नियमित वक्त पर भोजन करना और भोजन के बाद भी समय पर चलकर मल त्याग करना पाचन तंत्र को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है।
4. दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। पानी मल को सॉफ्ट रखता है और पाचन तंत्र को अच्छे से काम करने में मदद करता है
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