हार्मोन्स की कमी: शरीर पर प्रभाव और उसके परिणाम
हार्मोन्स की कमी: शरीर पर प्रभाव और उसके परिणाम
हार्मोन्स शरीर के विभिन्न कार्यों को संचालित करते हैं। हार्मोन्स की कमी से शरीर में कई प्रकार के असर पड़ सकते हैं। पहली बात तो यह है कि व्यक्ति को अधिक थकान महसूस होती है। त्वचा सूख सकती है और बाल भी गिरने लगते हैं। महिलाओं में मासिक धर्म की समस्या हो सकती है। वजन में अचानक बढ़ोतरी हो सकती है। हड्डियों में कमजोरी आ सकती है और मनोबल भी कम होता जाता
1. थायरॉयड हार्मोन की कमी हायपोथायरॉयडिज़्म कहलाती है। इसमें व्यक्ति को थकान, वजन बढ़ना, त्वचा सूखना, बाल गिरना जैसे लक्षण हो सकते हैं।
2. इंसुलिन की कमी डायबीटीज़ कहलाती है। इसमें ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है, जिससे प्यास बढ़ जाती है, बार-बार पेशाब आना, वजन कम होना जैसे लक्षण हो सकते हैं।
3. एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन की कमी महिलाओं में मेनोपॉज़ के समय या उससे पहले हार्मोन की कमी होने पर गर्मी महसूस होना, मूड स्विंग्स, नींद न आना जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
4. टेस्टोस्टेरोन की कमी पुरुषों में इस हार्मोन की कमी से कई समस्याएँ हो सकती हैं जैसे शारीरिक कमजोरी, बाल का गिरना, मसल मास में कमी आना।
5. ग्रोथ हार्मोन की कमी बच्चों में यह हार्मोन की कमी से उनका विकास धीमा हो सकता है और वयस्कों में मसल मास में कमी, हड्डियों में कमजोरी जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
6. एड्रिनल हार्मोन्स की कमी एडिसन डिजीज़ कहलाती है। इसमें व्यक्ति को थकान, वजन कम होना, त्वचा का रंग बदलना जैसे लक्षण हो सकते हैं।
7. पिट्यूटरी हार्मोन्स की कमी पिट्यूटरी ग्लैंड से संबंधित हार्मोन्स की कमी होने पर शारीरिक विकास में रुकावट, अनियमित मासिक धर्म, दूध का आना जैसे लक्षण हो सकते हैं।
हार्मोन्स की कमी या अधिकता से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। नीचे कुछ ऐसी ही बीमारियों का उल्लेख किया गया है
1.हायपोथायरॉयडिज़्म:
थायरॉयड हार्मोन की कमी से होती है। इस अवस्था में, शरीर का मेटाबोलिज़्म धीमा हो जाता है। व्यक्ति को अधिक थकान महसूस होती है, वजन तेजी से बढ़ सकता है, त्वचा सूख जाती है और बाल गिरने लगते हैं। इसके अलावा, आवाज़ पतली हो सकती है और चेहरे पर सूजन आ सकती है।
2. हायपरथायरॉयडिज़्म:
थायरॉयड हार्मोन की अधिकता से होती है। इसमें शरीर का मेटाबोलिज़्म तेज़ी से चलता है, जिससे व्यक्ति की धड़कन तेज़ हो जाती है, वजन तेजी से घट सकता है और घबराहट की समस्या हो सकती है। अन्य लक्षण में अधिक पसीना, अधिक भूख और अनिद्रा शामिल है।
3. डायबीटीज़ :
इस रोग में शरीर में इंसुलिन हार्मोन की कमी होती है, जिससे ब्लड शुगर लेवल में वृद्धि हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप, व्यक्ति को अधिक प्यास लगती है, बार-बार पेशाब आता है और वजन घटने लगता है। इसके अलावा, त्वचा में सूजन और खुजली हो सकती है।
4. पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस):
इस रोग में महिलाओं के शरीर में एंड्रोजन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है। इसके परिणामस्वरूप, महिलाओं को मासिक की समस्या होती है, चेहरे और अन्य भागों पर अधिक बाल आने लगते हैं, और वजन भी तेजी से बढ़ सकता है। इसके अलावा, फर्टिलिटी में समस्या और त्वचा में मुहांसे भी हो सकते हैं।
5. एडिसन डिजीज़:
इस रोग को एड्रिनल ग्लैंड्स से उत्पन्न होने वाले कॉर्टिसोल और अल्डोस्टेरोन हार्मोन्स की कमी के कारण होता है। व्यक्ति में अधिक थकान, वजन की घातक गिरावट और त्वचा का रंग बदलने जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं। इसके अलावा, नमक की तलब बढ़ सकती है और शरीर में चिड़चिड़ाहट हो सकती है।
6. कुशिंग सिंड्रोम:
इस रोग का प्रमुख कारण है एड्रिनल ग्लैंड्स से उत्पन्न होने वाले कॉर्टिसोल हार्मोन की अधिकता। व्यक्ति को वजन तेजी से बढ़ सकता है, चेहरे पर सूजन आ सकती है, और शरीर में अनचाहे बाल आने लगते हैं। इसके अलावा, उच्च रक्तचाप, अस्थियों में कमजोरी और त्वचा में चोट लगने की संभावना भी बढ़ जाती है।
7. ग्रोथ हार्मोन डिफिशेंसी:
इसमें बच्चों का विकास धीमा होता है। वयस्क व्यक्तियों में, मांसपेशियों का आकार घट सकता है और हड्डियों में कमजोरी हो सकती है। इसके अलावा, व्यक्ति को हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।
8. एक्रोमेगेली:
इस रोग की स्थिति में व्यक्ति के हाथ, पाव और चेहरे के कुछ हिस्से असमान रूप से बढ़ने लगते हैं। इसका प्रमुख कारण है ग्रोथ हार्मोन की अधिकता। इसके अलावा, व्यक्ति को दर्द और सूजन जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
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